होम हमसे संपर्क करें
हिन्दी
  • KJV
  • தமிழ்
  • తెలుగు
  • ಕನ್ನಡ
भजन संहिता
  • उत्पत्ति
  • निर्गमन
  • लैव्यव्यवस्था
  • गिनती
  • व्यवस्थाविवरण
  • यहोशू
  • न्यायियों
  • रूत
  • 1 शमूएल
  • 2 शमूएल
  • 1 राजा
  • 2 राजा
  • 1 इतिहास
  • 2 इतिहास
  • एज्रा
  • नहेमायाह
  • एस्तेर
  • अय्यूब
  • भजन संहिता
  • नीति वचन
  • सभोपदेशक
  • श्रेष्‍ठगीत
  • यशायाह
  • यिर्मयाह
  • विलापगीत
  • यहेजकेल
  • दानिय्येल
  • होशे
  • योएल
  • आमोस
  • ओबद्दाह
  • योना
  • मीका
  • नहूम
  • हबक्कूक
  • सपन्याह
  • हाग्गै
  • जकर्याह
  • मलाकी
  • मत्ती
  • मरकुस
  • लूका
  • यूहन्ना
  • प्रेरितों के काम
  • रोमियो
  • 1 कुरिन्थियों
  • 2 कुरिन्थियों
  • गलातियों
  • इफिसियों
  • फिलिप्पियों
  • कुलुस्सियों
  • 1 थिस्सलुनीकियों
  • 2 थिस्सलुनीकियों
  • 1 तीमुथियुस
  • 2 तीमुथियुस
  • तीतुस
  • फिलेमोन
  • इब्रानियों
  • याकूब
  • 1 पतरस
  • 2 पतरस
  • 1 यूहन्ना
  • 2 यूहन्ना
  • 3 यूहन्ना
  • यहूदा
  • प्रकाशित वाक्य
48
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
  • 6
  • 7
  • 8
  • 9
  • 10
  • 11
  • 12
  • 13
  • 14
  • 15
  • 16
  • 17
  • 18
  • 19
  • 20
  • 21
  • 22
  • 23
  • 24
  • 25
  • 26
  • 27
  • 28
  • 29
  • 30
  • 31
  • 32
  • 33
  • 34
  • 35
  • 36
  • 37
  • 38
  • 39
  • 40
  • 41
  • 42
  • 43
  • 44
  • 45
  • 46
  • 47
  • 48
  • 49
  • 50
  • 51
  • 52
  • 53
  • 54
  • 55
  • 56
  • 57
  • 58
  • 59
  • 60
  • 61
  • 62
  • 63
  • 64
  • 65
  • 66
  • 67
  • 68
  • 69
  • 70
  • 71
  • 72
  • 73
  • 74
  • 75
  • 76
  • 77
  • 78
  • 79
  • 80
  • 81
  • 82
  • 83
  • 84
  • 85
  • 86
  • 87
  • 88
  • 89
  • 90
  • 91
  • 92
  • 93
  • 94
  • 95
  • 96
  • 97
  • 98
  • 99
  • 100
  • 101
  • 102
  • 103
  • 104
  • 105
  • 106
  • 107
  • 108
  • 109
  • 110
  • 111
  • 112
  • 113
  • 114
  • 115
  • 116
  • 117
  • 118
  • 119
  • 120
  • 121
  • 122
  • 123
  • 124
  • 125
  • 126
  • 127
  • 128
  • 129
  • 130
  • 131
  • 132
  • 133
  • 134
  • 135
  • 136
  • 137
  • 138
  • 139
  • 140
  • 141
  • 142
  • 143
  • 144
  • 145
  • 146
  • 147
  • 148
  • 149
  • 150
1 हमारे परमेश्वर के नगर में, और अपने पवित्रा पर्वत पर यहोवा महान् और अति स्तुति के योग्य है!
2 सिरयोन पर्वत ऊंचाई में सुन्दर और सारी पृथ्वी के हर्ष का कारण है, राजाधिराज का नगर उत्तरीय सिरे पर है।
3 उसके महलों में परमेश्वर ऊंचा गढ़ माना गया है।
4 क्योंकि देखो, राजा लोग इकट्ठे हुए, वे एक संग आगे बढ़ गए।
5 उन्हों ने आप ही देखा और देखते ही विस्मित हुए, वे घबराकर भाग गए।
6 वहां कपकपी ने उनको आ पकड़ा, और जच्चा की सी पीड़ाएं उन्हें होने लगीं।
7 तू पूर्वी वायु से तर्शीश के जहाजों को तोड़ डालता है।
8 सेनाओं के यहोवा के नगर में, अपने परमेश्वर के नगर में, जैसा हम ने सुना था, वैसा देखा भी है; परमेश्वर उसको सदा दृढ़ और स्थिर रखेगा।।
9 हे परमेश्वर हम ने तेरे मन्दिर के भीतर तेरी करूणा पर ध्यान किया है।
10 हे परमेश्वर तेरे नाम के योग्य तेरी स्तुति पृथ्वी की छोर तक होती है। तेरा दहिना हाथ धर्म से भरा है;
11 तेरे न्याय के कामों के कारण सिरयोन पर्वत आनन्द करे, और यहूदा के नगर की पुत्रियां मगन हों!
12 सिरयोन के चारों ओर चलो, और उसकी परिक्रमा करो, उसके गुम्मटों को गिन लो,
13 उसकी शहरपनाह पर दृष्टि लगाओ, उसके महलों को ध्यान से देखो; जिस से कि तुम आनेवाली पीढ़ी के लोगों से इस बात का वर्णन कर सको।
14 क्योंकि वह परमेश्वर सदा सर्वदा हमारा परमेश्वर है, वह मृत्यु तक हमारी अगुवाई करेगा।।
‹ ›
© 2025 DailyManna.co.in. All rights reserved.