होम हमसे संपर्क करें
हिन्दी
  • KJV
  • தமிழ்
  • తెలుగు
  • ಕನ್ನಡ
1 तीमुथियुस
  • उत्पत्ति
  • निर्गमन
  • लैव्यव्यवस्था
  • गिनती
  • व्यवस्थाविवरण
  • यहोशू
  • न्यायियों
  • रूत
  • 1 शमूएल
  • 2 शमूएल
  • 1 राजा
  • 2 राजा
  • 1 इतिहास
  • 2 इतिहास
  • एज्रा
  • नहेमायाह
  • एस्तेर
  • अय्यूब
  • भजन संहिता
  • नीति वचन
  • सभोपदेशक
  • श्रेष्‍ठगीत
  • यशायाह
  • यिर्मयाह
  • विलापगीत
  • यहेजकेल
  • दानिय्येल
  • होशे
  • योएल
  • आमोस
  • ओबद्दाह
  • योना
  • मीका
  • नहूम
  • हबक्कूक
  • सपन्याह
  • हाग्गै
  • जकर्याह
  • मलाकी
  • मत्ती
  • मरकुस
  • लूका
  • यूहन्ना
  • प्रेरितों के काम
  • रोमियो
  • 1 कुरिन्थियों
  • 2 कुरिन्थियों
  • गलातियों
  • इफिसियों
  • फिलिप्पियों
  • कुलुस्सियों
  • 1 थिस्सलुनीकियों
  • 2 थिस्सलुनीकियों
  • 1 तीमुथियुस
  • 2 तीमुथियुस
  • तीतुस
  • फिलेमोन
  • इब्रानियों
  • याकूब
  • 1 पतरस
  • 2 पतरस
  • 1 यूहन्ना
  • 2 यूहन्ना
  • 3 यूहन्ना
  • यहूदा
  • प्रकाशित वाक्य
2
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
  • 6
1 अब मैं सब से पहिले यह उपदेश देता हूं, कि बिनती, और प्रार्थना, और निवेदन, और धन्यवाद, सब मनुष्यों के लिये किए जाएं।
2 राजाओं और सब ऊंचे पदवालों के निमित्त इसलिये कि हम विश्राम और चैन के साथ सारी भक्ति और गम्भीरता से जीवन बिताएं। यह हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर को अच्छा लगता, और भाता भी है।
3 यह हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर को अच्छा लगता, और भाता भी है।
4 वह यह चाहता है, कि सब मनुष्यों का उद्धार हो; और वे सत्य को भली भांति पहिचान लें।
5 क्योंकि परमेश्वर एक ही है: और परमेश्वर और मनुष्यों के बीच में भी एक ही बिचवई है, अर्थात् मसीह यीशु जो मनुष्य है।
6 जिस ने अपने आप को सब के छुटकारे के दाम में दे दिया; ताकि उस की गवाही ठीक समयों पर दी जाए।
7 मैं सच कहता हूं, झूठ नहीं बोलता, कि मैं इसी उ :श्य से प्रचारक और प्रेरित और अन्यजातियों के लिये विश्वास और सत्य का उपदेशक ठहराया गया।।
8 सो मैं चाहता हूं, कि हर जगह पुरूष बिना क्रोध और विवाद के पवित्रा हाथों को उठाकर प्रार्थना किया करें।
9 वैसे ही स्त्रियां भी संकोच और संयम के साथ सुहावने वस्त्रों से अपने आप को संवारे; न कि बाल गूंथने, और सोने, और मोतियों, और बहुमोल कपड़ों से, पर भले कामों से।
10 क्योंकि परमेश्वर की भक्ति ग्रहण करनेवाली स्त्रियों को यही उचित भी है।
11 और स्त्री को चुपचाप पूरी आधीनता में सीखना चाहिए।
12 और मैं कहता हूं, कि स्त्री न उपदेश करे, और न पुरूष पर आज्ञा चलाए, परन्तु चुपचाप रहे।
13 क्योंकि आदम पहिले, उसके बाद हव्वा बनाई गई।
14 और आदम बहकाया न गया, पर स्त्री बहकाने में आकर अपराधिनी हुई।
15 तौभी बच्चे जनने के द्वारा उद्धार पाएंगी, यदि वे संयम सहित विश्वास, प्रेम, और पवित्राता में स्थिर रहें।।
‹ ›
© 2025 DailyManna.co.in. All rights reserved.