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1 और सोर नगर के हीराम राजा ने अपने दूत सुलैमान के पास भेजे, क्योंकि उस ने सुना था, कि वह अभिषिक्त होकर अपने पिता के स्थान पर राजा हुआ है : और दाऊद के जीवन भर हीराम उसका मित्रा बना रहा।
2 और सुलैमान ने हीराम के पास यों कहला भेजा, कि नुझे मालूम है,
3 कि मेरा पिता दाऊद अपने परमेश्वर यहोवा के नाम का एक भवन इसलिये न बनवा सका कि वह चारों ओर लड़ाइयों में तब तक बझा रहा, जब नक यहोवा ने उसके शत्रुओं को उसके पांव तल न कर दिया।
4 परन्तु अब मेरे परमेश्वर यहोवा ने मुझे चारों ओर से विश्राम दिया है और न तो कोई विरोधी है, और न कुछ विपत्ति देख पड़ती है।
5 मैं ने अपने परमेश्वर यहोवा के नाम का एक भवन बनवाने को ठाना है अर्थात् उस बान के अनुसार जो यहोवा ने मेरे पिता दाऊद से कही थी; कि तेरा पुत्रा जिसे मैं तेरे स्थान में गद्दी पर बैठाऊंगा, वही मेरे नाम का भवन बनवाएगा।
6 इसलिये अब तू मेरे लिये लबानोन पर से देवदारू काटने की आज्ञा दे, और मेरे दास तेरे दासों के संग रहेंगे, और जो कुछ मज़दूरी तू ठहराए, वही मैं तुझे तेरे दासों के लिये दूंगा, तुझे मालूम तो है, कि सीदोनियों के बराबर लमड़ी काटने का भेद हम लोगों में से कोई भी नहीं जानता।
7 सुलैमान की ये बातें सुनकर, हीराम बहुत आनन्दित हुआ, और कहा, आज यहोवा धन्य है, जिस ने दाऊद को उस बड़ी जाति पर राज्य करने के लिये एक बुध्दिमान पुत्रा दिया है।
8 तब हीराम ने सुलैपान के पास यों कहला भेजा कि जो तू ने मेरे पास कहला भेजा है वह मेरी समझ में आ गया, देवदारू और सनोवर की लकड़ी के विषय जो कुछ तू चाहे, वही मैं करूंगा।
9 मेरे दास लकड़ी को लबानोन से समुद्र तक पहुंचाएंगे, फिर मैं उनके बेड़े बनवाकर, जो स्थान तू मेरे लिये ठहराए, वहीं पर समुद्र के मार्ग से उनको पहुंचवा अूंगा : वहां मैं उनको खोलकर डलवा दूंगा, और तू उन्हें ले लेना : और तू मेरे परिवार के लिये भोजन देकर, मेरी भी इच्छा पूरी करना।
10 इस प्रकार हीराम सुलैमान की इच्छा के अनुसार उसको देवदारू और सनोवर की लकड़ी देने लगा।
11 और सुलैमान ने हीराम के परिवार के खाने के लिये उसे बीस हज़ार कोर गेहूं और बीस कोर पेरा हुआ तेल दिया; इस प्रकार सुलैमान हीराम को प्रति वर्ष दिया करता था।
12 और यहोवा ने सुलैमान को अपने वचन के अनुसार बुध्दि दी, और हीराम और सुलैमान के बीच मेल बना रहा वरन उन दोनों ने आपस में वाचा भी बान्ध ली।
13 और राजा सुलैमान ने पूरे इस्राएल में से तीन हज़ार पुरूष बेगार लगाए,
14 और उन्हें लबानोन पहाड़ पर पारी पारी करके, महीने महीने दस हज़ार भेज दिया करता था और एक महीना तो वे लबानोन पर, और दो महीने घर पर रहा करते थे; और बेगारियों के ऊपर अदोनीराम ठहराया गया।
15 और सुलैमान के सत्तर हज़ार बोझ ढोनेवाले और पहाड़ पर अस्सी हज़ार वृक्ष काटनेवाले और पत्थर निकालनेवाले थे।
16 इनको छोड़ सुलैमान के तीन हज़ार तीन सौ मुखिये थे, जो काम करनेवालों के ऊपर थे।
17 फिर राजा की आज्ञा से बड़े बड़े अनमोल पत्थर इसलिये खोदकर निकाले गए कि भवन की नेव, गढ़े हुए पत्थरों से डाली जाए।
18 और सुलैमान के कारीगरों और हीराम के कारीगरों और गबालियों ने उनको गढ़ा, और भवन के बनाने के लिये लकड़ी और पत्थ्र तैयार किए।
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